मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवनी| रामायण की पूरी कहानी और इतिहास

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवनी| रामायण की पूरी कहानी और इतिहास

राम किससे के पुत्र थे ?ram

 मर्रायादा पुरुषोत्मतम श्रीराम
               मर्रायादा पुरुषोत्मतम श्रीराम

 मर्रायादा पुरुषोत्मतम श्रीराम -: राम नाम की उत्पत्ति अयोध्या के राजा दशरथ के यहाँ से हुई है राजा दशरथ इक्ष्वाकु वंशज के थे|  और उन्हें सूर्यवंशी राजा भी कहा जाता है| राजा दशरथ एक महान शक्तिशाली शासक हुवा करते थे और बहुत ही दयालु और प्रजा पालक थे |उनके यहाँ संतान नहीं हो रही थी तब उनको अपने प्रजा की चिंता होने लगी उनकी तीन रानियाँ थी महरानी कौसिल्या, कैकेयी और सुमित्रा इन सभी महारानी को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही थी तभी महराज ने अपने गुरु के पास गए और अपना दुःख बताया तो तभी गुरु वशिष्ठ ने राजा को यग्य करने को कहा और राजा दशरथ ने यग्य किया तभी सभी महारानियों को पुत्र की प्राप्ति हुई राजा दशरथ के चार पुत्र हुवे|

 

 

1. राम(Ram)-:
राम राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे राम महारानी कौसिल्या के गर्भ से जन्मे थे|

2. भरत(Bhart)-:
भरत राजा दूसरे के दूसरे पुत्र थे भरत रानी कैकेयी के पुत्र थे और राम से छोटे थे|

3. लक्ष्मण(lakshman)-:
लक्ष्मण रजा दशरथ के तीसरे पुत्र थे लक्ष्मण रानी सुमित्रा के पुत्र थे|

4. शत्रोधन(Shatrodhan)-:
शत्रोधन लक्ष्मण के सगे भाई थे और रजा दशरथ के चौथे और सबसे छोटे पुत्र थे शत्रोधन रानी सुमित्रा के पुत्र थे|

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, श्री राम की उपाधि कैसे पाये-:

राम राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र होने के कारण उन पर भार ज्यादा आया और उन्होंने अपने बड़े होने का कर्तव्य पूरा किया | राम और उनके सभी भाइयों ने सर्व प्रथम गुरु वशिष्ठ से शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद गुरु विश्वामित्र से शिक्षा ग्रहण की ऐसा कहा जाता है राम के समय में, त्रेता युग में शिक्षा बहुत ही कठिन तरीके से मिलती थी|  और गुरु आश्रम में बड़े सख्त नियम होते थे शिक्षा पाने से पहले सबको बाल मुंडवाने पड़ते थे| और सभी को ब्रह्मचर्य आश्रम का पालन करना पड़ता था| और शिक्षा में अस्त्र शस्त्र की शिक्षा दिया जाता था और उन सभी शिष्यों को दिव्य शस्त्रों का ज्ञान भी दिया जाता था | भविष्य में कभी युद्ध हो तो उन सभी अस्त्रों शस्त्रों का उपयोग कर सके|

राम लक्ष्मण ने भविष्य में इन सभी अस्त्रों शस्त्रों को उपयोग में लाये राम ने सभी राक्षसों को त्रेता युग से मार कर ख़त्म कर दिया राम ने रावन को युद्ध में पराजित कर रावन को म्रत्युदंड दिया तभी से राम श्री राम कहलाये राम ने पृथ्वी को राक्षस हीन कर दिया था | राम ने सभी देवताओं और सभी ऋषियों और मनुष्यों को इन सभी राक्षसों के डर को दूर कर दिया था |

राम का विवाह किससे हुआ था ?

राम का विवाह(Ram’s marriage)-:

श्रीराम का सीता से विवाह
                                 श्रीराम का सीता से विवाह

राम का विवाह श्री जनक नंदिनी सीता से हुवा विवाह से पहले स्वयंवर हुवा जिसका नाम सीता स्वयंवर पड़ा स्वयंबर में कई शक्तिशाली राजा, देवता, गन्धर्व, और राक्षस भी आये थे उस स्वयंवर में राम लक्ष्मण तथा उनके साथ गुरु विश्वामित्र भी उस स्वयंबर में थे|  जो मेहमान बनके आमंत्रित थे सीता स्वयंवर की शुरुआत सभी शक्तिशाली राजाओं और सभी आये देवता और गंधर्व किये पर कोई शिवधनुष को हिला तक नहीं पाया सीता स्वयंवर का नियम था जो कोई आये हुवे प्रतिभागी शिव धनुष को उठाकर प्रतिन्क्षा चढ़ाना है जो कोई चढ़ा ले जायेगा उसी से सीता का विवाह होगा किन्तु आये हुवे सभी प्रतिभागी शिव धनुष को हिला तक नहीं पाये ऐसे में राजा जनक पूरी तरह हिम्मत हार चुके थे तभी गुरु विश्वामित्र ने राम को आदेश दिया तुम उठो और शिव धनुष की प्रतिन्क्षा चढाओ और सीता से विवाह करो राजा जनक की चिंता दूर करो | तभी सखिया गीत गाने लगी और सीता अपने अराध्य शिव से प्राथना करने लगी और बोली शिव धनुष राम ही उठा कर प्रतिन्क्षा चढ़ाये |

उदित उदयगिरि मंच पर रघु बर बाल पतंग।
बिकसे संत सरोज सब हरषे लोचन भंग॥

तभी राम ने शिव धनुष को उठाया और उस पर प्रतिन्क्षा चढाने की कोशिश की तो शिव धनुष टूट गया तभी आकाश में गर्जना होने लगी और थोड़ी देर बाद महार्षि परसुराम राजा जनक के दरबार में आ पहुंचे तो राम ने अपनी कुशलता का परिचय दिया महर्षि परशुराम को प्रसन्न किया उसके पश्चात राम और सीता के साथ- साथ भरत, लक्ष्मण और श्त्रोधन का भी विवाह हुवा |

राम के राज्याभिषेक में बाधक कोन बना था ?

राम का राज्याभिषेक(Coronation of Rama)-:

राम जी का राज्याभिषेक
     राम जी का राज्याभिषेक

राम का राज्याभिषेक की तैयारी हो रही थी तभी मंथरा नाम की कैकेई की दासी ने कैकेई को भर दिया की राम का राज्याभिषेक न हो और अपने पुत्र का राज्याभिषेक कर व दो ताकि आप भविष्य की राजमाता बन सके कैकेई ने मंथरा की बात मान ली और राजा दशरथ से वरदान मांगी की राम के जगह हमारे पुत्र भरत का राज्याभिषेक को और राम को 14 वर्ष का वनवास रजा दशरथ से वचन और वरदान माँगा राजा दशरथ ने बहुत ही कष्ट से कैकेई को वरदान दे दिया और राम का वनवास हो गया|

 

 

 

राम को कितने वर्ष का वनवास हुआ था ?

राम का वनवास(Ram’s exile)-:  
राम को रानी कैकेई के वचन के कारण राम को 14 वर्ष का वनवास हुवा राम के साथ राम की पत्नी और उनका अनुज लक्ष्मण भी वनवास को स्वीकारा और सभी लोगों ने माता पिता और गुरु का आशीर्वाद लिया और प्रजा से मिलकर वनवास के लिए प्रस्थान किये राम ने सभी ऋषियों और अपने मित्र निषाद राज से भी मिले और अपना 13 वर्ष चित्र कूट में काटा उसी दौरान राम ने सभी जंगलों के राक्षसों का वध किया|

शूर्पनखा क्या सोचकर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से मिलने आई थी ?

शूर्पनखा और राम का मिलन(meeting of Shurfankha and Rama)-:
एक दिन जंगल की शेर करने आई शूर्पनखा की निगाह राम पर पड़ी देखते ही राम को पाने की इच्छा जताई और राम से मिलने एक सुंदरी का रूप धर आई और राम से विवाह का प्रस्ताव रखा पर राम ने मना कर दिया और बोले मेरा विवाह हो चुका है मेरी पत्नी सीता है उसके बाद शूर्पनखा की निगाह लक्ष्मण पड़ी और उनसे कहने लगी की आप नहीं करेंगे तो आपके छोटे भाई से विवाह कर लूँ पर लक्ष्मण ने ही मना कर दिया उसके बाद शूर्पनखा ने सीता को मारने की कोशिश की तभी लक्ष्मण क्रोधित में आकर शूर्पनखा का नाक काट दिया तो शूर्पनखा ने अपने भाई खनदूषणं को बुला लाई और राम के ऊपर राक्षसों ने प्रहार कर दिया तो राम ने सभी राक्षसों को मार डाला तो शूर्पनखा ने यह सूचना अपने बड़े भाई श्रीलंका के महाराजा रावण को दी तो रावन ने यह योजना बनाई की सीता का अपहरण कर लिया जाये

सीता का हरण किसने किया था ?

सीता का अपहरण(kidnapping of Sita)-:
एक दिन जंगल में सीता को एक सुनहरा हिरन दिखाई पड़ा तो सीता ने राम से हिरन पाने की याचना जताई तभी राम ने हिरन का शिकार करने जंगल की और बढे तभी रावण ऋषि का भेष धरण कर लिया राम ने हिरन को जैसे हीर तीर मारा हिरन खूब तेज से लक्ष्मण को पुकारा तो सीता घबरा गई और लक्ष्मण को जंगल की और भेज दिया तो लक्ष्मण ने जाने से पहले कुतिया के बाहर लक्ष्मण रेखा खींचने के बाद आगे बढे तभी रावन कुतिया के बाहर भीख मांगने आया और सीता को बुलाया सीता रेखा के इस पार नहीं आना चाहती थी तभी रावण अपने ऋषि का भेष धारण करने का फायदा उठाया और किसी भी तरह सीता को रेखा इस पार बुलाया और सीता का हरण कर लंका की और जा रहा था तभी उसको गली में जटायु ने सीता को बचने की पूरी कोशिश की पर बचा नहीं पाया पर वह लंका चला गया और सीता को अशोक वाटिका में बंदियों की तरह रखा |

सीता की खोज में निकले राम और लक्षमण को जंगल में किससे भेंट हुई थी ?

श्रीराम जी से हनुमान की भेट
श्रीराम जी से हनुमान की भेट

राम की हनुमान से भेंट(Rama’s meeting with Hanuman)-:
राम सीता की खोज में जंगलों की और भटकने लगे तभी उनको अपनी भक्त सबरी के यहाँ जान हुवा क्योंकि सबरी राम की प्रतीक्षा कर रही थी और राम ने उन्हें दर्शन दिया और हनुमान की और रास्ता पूछने का मार्ग पूछा और आगे चलकर हनुमान से भेंट हुई हनुमान उनको वानर राज सुग्रीव के पास ले गए और सुग्रीव के बड़े भाई बाली का वध किया सारी वानर सेना को अपने साथ लंका ले गए और वहाँ पर राम और रावण का संग्राम हवा|

 

 

 

 

दशहरा क्यों मनाया जाता है ?

राम रावण युद्ध(Ram Ravan war)-:

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवनी| रामायण की पूरी कहानी और इतिहास

 

आइये हम आप सबको दशहरा क्यों मनाया जाता है | इसके बारे में बताते है क्योकि इस दिन राम ने रावण को पराजित किया था और उस दिन धर्म की जीत तथा अधर्म की हार हुई थी इसी कारण दशहरा मनाया जाता है |  रावण का युद्ध  राम के साथ हुआ था |रावण का छोटा भाई विभीषण भी था क्योंकि राजा रावण ने विभीषण को भरी सभा में अपमानित कर लंका से निकाला था इसलिए विभीषण ने राम का साथ दिया और रावण के सभी गुप्त मार्गों और सभी बातों को राम से साझा किया और इसी कारण रावण की सारी सेना मृत्यु के घात चली गई और रावण के सारे बेटे और पोते मरे गए और सबसे चहेता बेटा इन्द्रजीत भी लक्ष्मण के हाथों मारा गया और उसका छोटा भाई कुम्भ करण भी राम के हाथों मारा गया था | और उसके बाद रावण और राम का युद्ध हुवा जिसमें रावण पराजित हवा और राम की जीत हुई|

जिसे आज हम कहते धर्म की जीत हुई और अधर्म की हार हुई और उसके बाद विभीषण का तिलक करके सीता को वापस लेके अयोध्या पहुंचे और वहाँ पर अयोध्या वासी गोलों और पटाकों से धूम मचाया और पूरी अयोध्या दीपक से सजाया इसी के कारण हम सब लोग दीवाली का त्यौहार मनाते है|
फिर पुन्हा राम का राज्याभिषेक कर राम को अयोध्या का राजा बनाया गया|
राम बहुत ही मर्यादित थे सभी की रक्षा करते थे इसी कारण राम को मर्यादा पुर्सोत्तम श्रीराम कहा जाता है|

सारांश : इस लेख में मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम की जीवनी| और रामायण की पूरी कहानी और इतिहास , का सरल भाषा में हमारे द्वारा वर्णन है | जो आपके समझ में आ सके |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *