Plastic Waste and Associated Problems (प्लास्टिक कचरा और उससे जुड़ी समस्याएँ)

Plastic Waste and Associated Problems (प्लास्टिक कचरा और उससे जुड़ी समस्याएँ)

प्रस्तावना

वर्तमान समय में प्लास्टिक का उपयोग बहुत अधिक हो रहा है।  यह आधुनिक युग की सबसे बड़ी चीजों में से एक मानी जाती है।  प्लास्टिक बहुउपयोगी वस्तु होने के साथ – साथ सस्ता हल्का और टिकाऊ है। इसी कारण इसका उपयोग पैकिंग, ट्रांसपोर्ट सामान,  घरेलु सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स और चिकित्सा उपकरणों में भी व्यापक रूप से किया जा रहा है। परुन्तु समस्या तब उत्पन्न होती है, जब यह कचरे में परिवर्तित हो जाता है।  इससे पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न होती है।  वर्तमान समय में प्लास्टिक कचरा पूरी दुनिया के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती बन के खड़ा है।  संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर साल लगभग 40 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है, इसमें एक तिहाई से अधिक कचरे के रूप में पर्यावरण को प्रदूषित करता है

क्रम संख्या (S. No.) विषय (Topic)
1 प्रस्तावना
प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग और समस्या
2 प्लास्टिक कचरा क्या है?
सिंगल यूज़ प्लास्टिक
मल्टी यूज़ प्लास्टिक
3 प्लास्टिक कचरे से उत्पन्न समस्याएँ
पर्यावरणीय समस्याएँ
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
आर्थिक एवं सामाजिक समस्याएँ
जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव
4 भारत और अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
भारत में स्थिति
अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य (UNEP, SDG)
5 समाधान एवं उपाय
नीतिगत कदम
तकनीकी एवं प्रबंधन समाधान
सामाजिक एवं व्यक्तिगत प्रयास
6 प्लास्टिक कचरे पर चल रहे प्रमुख शोध
7 निष्कर्ष

 

प्लास्टिक कचरा क्या है?

single use plastic
single use plastic
single use plastic
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प्लास्टिक कचरे से, या उन सभी प्लास्टिक वस्तुओं से है जो उपयोग के बाद फेंक दी जाती है और जिसका पुनः उपयोग या पुनर्चक्रण नहीं किया जा सकता है। इसके के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं :-

  1. सिंगल यूज प्लास्टिक  पॉलीथिन बैग, पानी की बोतलें  कप - प्लेट, पैकेगिंग सामग्री।  यह बहुत ही हनिकराक है। क्योंकि इसे उपयोग करके फेंक देते हैं।
     2.मल्टी यूज प्लास्टिक खिलौने, फर्नीचर, पाइप, एलेक्टोनिक वस्तुएँ।  इनका उपयोग तो लंबे समय तक करते है, परन्तु ख़राब होने के बाद ये सभी वस्तुएं भी अपशिष्ट में परिवर्तित हो जाती हैं।

 

प्लास्टिक कचरे से उत्पन्न समस्याएँ

पर्यावरण समस्याएँ  जल प्रदूषण: – समुद्र और नदियों में प्लास्टिक का जमाव जलीय पारिस्थितिक तंत्र को बाधित करता है  उदाहरण स्वरूप “ग्रेट पैसिफिक गारवेज पैच” इसका  वैश्विक  उदाहरण है।

वन्य जीवो पर असर: – पक्षी, मछलियों,  कछुए  और अन्य जीव (प्लास्टिक को भोजन समझकर निगल जाते हैं, जिससे   उनकी मृत्यु हो जाती है।

मायक्रोप्लास्टिक प्रदूषण- जब प्लास्टिक टूटकर छोटे -छोटे  कणों में बदलता है तो यह हवा पानी और मिट्टी में मिलकर जीव- जन्तुओ था मानव शरीर में पहुचता है

अपघटन न होना – प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल न होने के कारण इसे पूर्णता नष्ट होने में 100 से 500 साल तक का समय लग सकता है।

मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव- जहरीले गैसे – प्लास्टिक को जलाने पर फ्युरान और बेंजीन  जैसी जहरीली गैसों का संचार होता है, जो फेफड़े की बीमारी, और अस्थमा जैसी बीमारियों को उत्पन्न करती है

मिक्रोप्लास्टिक का सेवन: –  WHO की रिपोर्ट के अनुसार, हम रोज पानी और भोजन के साथ सूक्ष्म प्लास्टिक कण निगल रहे हैं, जो हमारे पाचन तंत्र, हार्मोन सिस्टम और तंत्रिका तंत्र पर नकारात्मक  प्रभाव डाल रहा है।

पैकेकिंग का खतरा: –  कुछ  प्लास्टिक (BPA) भोजन में “मिलकर ” हार्मोनल असंतुलन ” (एद्रोक्रिएन  डिसरप्शन) पैदा करते  है।

 

 आर्थिक एवं सामाजिक समस्याएँ: –

शहरी बाद’ सीवर, नालियों  में प्लास्टिक  के भहने से जल जमाव

कृषि पर प्रभाव:- खेतो में प्लास्टिक फैलने से मिट्टी की पारगम्यता घटती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में कमी होने के कारण फसल की उत्पादन में गिरावट आती है

पर्यटन उद्योग पर प्रभाव: – पर्यटन छेत्रो  जैसे-समुद्र तटों एवं धार्मिक स्थलों पर प्लास्टिक कचरे के जमाव से पर्यटक हतोत्साहित होते  है।

कचरे की प्रबंधन लागत :- नगर निकायों का कचरा प्रबंधन पर आर्थिक बोझ  का सामना करना पड़ता है।

जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव – प्लास्टिक का निर्माण पेडोलियम आधारित उत्पादों से होता है , जिससे तीन हाउस  (गैस ) का उत्सर्जन बढता है।

प्लास्टिक को जलने पर (CO2) और मीथेन जैसे अन्य गैसें उत्सर्जित होती हैं था ग्लोबल वार्मिंग की गति को बढाती है ।

 

 भारत में स्थिति –

CPCDC (केंद्रीय प्रदूषण निमांतरण बोर्ड) के अनुसार, भारत में हर साल लगभग ३४ लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है। इनमें से केवल 60% ही रिसाइकल होता है। पर्यावरण में फैलकर प्रदूषण उत्पन्न करता है   महानगरों में सिंगल  यूज  प्लास्टिक इसका सबसे बड़ा स्टॉप है। 2022 से भारत सरकार ने कई सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं (जैसे स्ट्रो, डिस्पोजल, प्लेट, कप) पर प्रतिबंध लगाया है।

अन्तराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य –

UNCP (United National Environment Program) प्लास्टिक प्रदूषण को वैश्विक संकट मान चूका है। जिसमे “प्लास्टिक प्रदूषण पर क़ानूनी बंधन संधि पर काम         हो  रहा है। सस्टेनेबल  डेवेलेपमेंट गोल्स (SDG) – 12 और( SDG)-14 (समुद्री जीवन ) प्लास्टिक कचरा प्रबंधन से जुड़े  हैं।

 समाधान एवं उपाय –

नीतिगत कदम- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और संसोधन   2022  सिंगल यूज  प्लास्टिक  पर चरण बह प्रतिबंध एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिपॉन्सबिलिटी (ईपीआर) – मतलब निर्माता कंपनी अपने द्वारा निर्मित प्लास्टिक  की जिम्मेदारी ले।

स्वच्छ भारत मिशन-

कचरा प्रबंधन पर विशेष बल (क्लीन सीज कैम्पेन) समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण कम करने के लिए (international) पहल तकनीकी एवं प्रबंधन समाधान-

बायोप्लास्टिक का उपयोग – जैविक पदार्थो  से बने प्लास्टिक जिसको आसानी से अपशिस्ट किया जा सकता हो।  रिसाइक्लिंग-

प्लास्टिक  को पुनर्चक्रित कर नये उत्पाद में परिवर्तित करना।

अप्सिग्लिंग – पुराने प्लास्टिक से मूल्यवान वस्तुएँ बनाना प्लास्टिक टू फ्यूल तकनीक- अप्शिस्ट  (लास्टिक से एथन तैयार करना)।

 सामाजिक एवं व्यक्तिगत प्रयास –

3R’ सिधांत (रिड्यूस, रीयूप, रीसायकल) को अपनाना। कपड़े के थैले, धातु या कांच की बोतलें का उपयोग। प्लास्टिक का सही उपकरण एवं प्रयोग। शिक्षा और धन – जगुराकता अभियान।

 प्लास्टिक कचरा पर चल रहे प्रमुख शोध –

प्लास्टिक कचरों को जल, गैस एवं उपयोगी रसायनों में परिवर्तित करना  कृतिम माइक्रोवेब बैक्टेरिया द्वारा प्लास्टिक से उपयोगी पदार्थो का निर्माण करना समुद्र जल में घुलने वाला प्लास्टिक कृषि अपशिस्ट से  बायोडिग्रेडेबल पैकेकिंग  बनाना मैक्रोप्लास्टिक को घटाने के लिए चुंबकीय का उपयोग प्राकृतिक तरीकों से कचरा और अपसाइक्लिंग और उद्योग आधारित समाधान

निष्कर्ष –

प्लास्टिक ने मानव जीवन को सुविधा प्रदान की तो परन्तु इसका दुष्प्रभाव  आज वैश्विक संकट बन चूका  है।  यदि समय रहते ठोस कदम  नहीं उठाए  गए  तो निश्चित भविष्य   में हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।  आवश्यक है कि सरकार, उद्योग समाज और प्रत्येक नागरिक समूह मिलकर प्लास्टिक कचरे   के प्रबंधन में अपनी भूमिका निभाएं।  (SR) सिधान्त का पालन करते हुए हमें पर्यावरण  संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

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