अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस: यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना, महत्व,इतिहास”
अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस: यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना, महत्व,इतिहास”

अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस को विश्व डाक दिवस भी कहा जाता है। यह दिवस हर वर्ष 9 अक्टूबर को मनाया जाता। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को डाक तथा डाक कर्मचारियों के सम्मान और समाज में इन सभी लोगों द्वारा व्यवस्था को उजागर करना।
अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस क्यों मनाया जाता है?
अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस मनाने का उद्देश्य डाक व्यवस्था को फैलाना, इनके कार्यों के महत्व को एक दूसरे व समाज में समझाना इससे पहले डिजिटल सेवा न चलकर ज्यादा तर कार्य डाक व्यवस्था से ही चलते थे। बल्कि आज भी पार्सल और अनेक डिजिटल सेवाएं डाक व्यवस्था सुचारू रूप से चलाते है।
विश्व डाक दिवस कब मनाया जाता है?
इस दिवस की शुरुआत 1964 में संयुक्त राष्ट्र ने 9 अक्टूबर से की। इसी दिन Universel postel Uniyan (UPU) की स्थापना हुई थी। इसलिए इस दिवस की शुरुआत 9 अक्टूबर को हुई तब से यह दिवस 9 अक्टूबर को मनाए जाने लगा।
अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस का इतिहास:
यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना 9 अक्टूबर 1874 को बर्न स्विट्ज़रलैंड में संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से हुई थी। UPU की स्थापना व वर्षगांठ के कारण इस दिवस को मनाने जाने का निर्णय लिया गया और इस दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर मनाया जाना चाहिए क्योंकि यह डाक सेवा बहुत पुरानी है। और सभी की मदद करती है।
एक जगह से दूसरे जगह संदेश और समान भेजने का कार्य करती है। 1964 में टोक्यो में आयोजित यूनिवर्स पोस्टल यूनियन कांग्रेस भी इस आयोजन में हिस्सा लिया था। कांग्रेस ने यह विचार विमर्श करके इस दिवस को 9 अक्टूबर को मनाने को कहा।
डाक महत्व और उद्देश्य:
1.डाक सेवा का सहयोग
डाक का महत्व हमारे लिए या सभी के लिए जानना बहुत जरूरी है। डाक सेवा सुचारू रूप से एक जगह से दूसरे जगह समान भेजने का काम करती है।
इस दिवस को इसलिए मनाया जाता है कि हमें समाज में डाक के प्रति सकारात्मक प्रभाव डाल सके और डाक कर्मचारियों के लिए इज्जत और बढ़ जाएं क्योंकि वे धूप और ठंड दोनों सहकर हमें संदेश व चिट्ठी देते है। और वे दूसरे को भी संतुष्ट करते है।
2. डाक के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना:
डाक सेवा बहुत पुरानी सेवा है यह सेवा हमें आपस में जोड़ने का कार्य करती है। इस सेवा के चलते हम अपनों से बात कर पाते हैं और उनको घर की यादें ताजा करने के लिए सामान भिजवा पाते हैं।
डाक सेवा समाज में जागरूकता लाने का कार्य करती है। हमें डाक के प्रति समाज में यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उसे व्यवस्था को सुचारू रूप से एक दूसरे के सहयोग से चला पाए।
3. कर्मचारियों को सम्मान देना:
डाक कर्मचारी सभी मौसम जलकर आपके लिए सामान लाते हैं। तथा संदेश देने का कार्य करते हैं। क्योंकि 19वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी के मध्य जो अंतराल चला।
उसे अंतराल में डाक सेवा ने बहुत महत्वपूर्ण काम किए। क्योंकि बॉर्डर पर देश की रक्षा करने वाले सैनिकों का संदेश उनके गांव उनकी माता तथा पिता के पास चिट्ठी के माध्यम से लाते थे। इससे घर वाले संतुष्ट होते थे कि हमारे बच्चे ठीक-ठाक है।
वेदकालीन में संदेश वाहक:
वेदकालीन में संदेश पहुंचने का कार्य ब्रह्मा जी के पुत्र नारद करते थे। उनको संचार का माध्यम कहा जाता था। सर्वप्रथम संदेश वाहक नारद जी को ही कहा जाता है। क्योंकि वह आदिकाल वेद का त्रेता युग द्वापर युग आदि युगों में उन्होंने एक जगह से दूसरे जगह बात फैलाने का कार्य किया था।
भारत में डाक सेवा:
भारत डाक सेवा का सर्वप्रथम माध्यम है। भारत में डाक सेवा का कार्य 1854 ई से सुचारू रूप से चल रहा है। यह सेवा भारत की आर्थिक स्थिति को बताता है तथा जीडीपी में इसका भी सहयोग है।
आजकल ज्यादातर सेवाएं डिजिटल माध्यम से सुचारू रूप से चल रही है। और इसका कार्य पार्सल को लें जाने का कार्य करती है।
निष्कर्ष:
डाक सेवा समाज में शांति लाने का भी कार्य करती है। और पर्यावरण जैसे तथ्यों पर बात करती है और हमें स्वच्छता के प्रति जागरूक और प्लास्टिक पॉल्यूशन से बचाती है।
डाक सेवा सिर्फ संचार और पार्सल भेजने काम नहीं करती बल्कि हमें आपस में जोड़ने और एक देश दूसरे देश को जोड़ती है। यह कार्य वैश्विक स्तर पर करती है जिससे सभी लोगों में प्रेम, सहयोग, सोहार्द और भाईचारा बना रहे।
इसलिए हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को हम स्कूलों और समाज के मंचों पर पत्र लिखकर एक जगह से दूसरे जगह भेजते है जिससे यह दिवस और प्रभावशाली बन जाता है।