“नेशनल बॉडी लैंग्वेज डे: शारीरिक हावभाव की संपूर्ण जानकारी”
“नेशनल बॉडी लैंग्वेज डे: शारीरिक हावभाव की संपूर्ण जानकारी”

मनुष्य की सबसे बड़ी कला संवाद करना। जो अपने संपूर्ण जीवन में इस कला को आयात निर्यात करता है। भावनाएं और इच्छाएं और विचार शब्दों के माध्यम से बताना इस कला का मुख्य चरण यही है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी बातचीत का केवल एक हिस्सा ही शब्दों पर आधारित होता है?
इस पर शोध हुआ है सर्च होने के बाद पता चला कि हमारी 70% से अधिक संचार प्रकिया गैर – मौखिक होती है, जिसमें सबसे बड़ा योगदान बॉडी लैंग्वेज का होता है।
चेहरे के भाव, आंखों का संपर्क, हाथों के इशारे, शरीर की मुद्रा और चलने फिरने का तरीका यह सभी हमारे अंदर की सोच और भावनाओं को प्रकट करते हैं। यही कारण है कि दुनिया भर में अक्टूबर के पहले शुक्रवार को बॉडी लैंग्वेज डे मनाया जाता है। इस दिवस को राष्ट्रीय शारीरिक भाषा दिवस आदि के नाम से भी जाना जाता है।
इस विशेष दिन का उपदेश अक्टूबर के पहले शुक्रवार का उद्देश्य लोगों को यह बताना समझना कि हम बिना कुछ कहे समझे अपने हाव-भाव से व्यक्त करते हैं जो की शारीरिक प्रक्रिया होते हैं। यह दिन हमें अपनी शारीरिक हो भाव पर ध्यान देने और दूसरों की बॉडी लैंग्वेज को सही तरीके से समझने के शिक्षा प्रेरणा तथा उनसे सीख लेने की आवश्यकता व्यक्त करती है।
नेशनल बॉडी लैंग्वेज डे कब मनाया जाता है?
नेशनल बॉडी लैंग्वेज में हर्ष वर्ष अक्टूबर मा के पहले सप्ताह का फ्राइडे के दिन या दिवस मनाया जाता है।
लेकिन साल 2025 में यह दिवस 3 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।
नेशनल बॉडी लैंग्वेज डे क्यों मनाया जाता है?
ब्लांका कॉब का कहना था कि लोग अक्सर शब्दों पर ज्यादा ध्यान देते हैं, परंतु हकीकत में हमारी बॉडी लैंग्वेज हमारे असली हाव-भाव का दर्पण है जिससे हम व्यक्त करते हैं अपनी भावनाओं और विचारों को, यही कारण है कि उन्होंने लोगों को जागरूक करने और गैर मौखिक संचार की शक्ति को समझने के लिए इस दिन की स्थापना की।
ब्लांका कॉब बॉडी लैंग्वेज के विशेषज्ञ थे, और वे ट्रथ ब्लेजर LLC के संस्थापक भी थे। और उन्होंने बॉडी लैंग्वेज पर विशेष बल दिया। और सबसे पहले उन्होंने ही लोगों को जागरूक किया और जागरूक करने के कारण उन्होंने इस दिवस की शुरुआत भी की।
बॉडी लैंग्वेज क्या है?
बॉडी लैंग्वेज को हिंदी में शारीरिक हाव-भाव कहते हैं। यह मानव शरीर की वह भाषा है वह कल है जिसमें हम बिना शब्दों के अपने विचार और भावनाएं व्यक्त करते है। जैसे –
चेहरे के भाव:
खुशी, गुस्सा, दुख और आश्चर्य। आदि हम चेहरे से व्यक्त करते है।
आंखों का संचार:
ध्यान, ईमानदारी, आत्मविश्वास और इशारा करना आंखों से आकर्षित करना आदि व्यक्त करते है।
हाथों के हिलाना:
स्वागत करना , लड़ना, लिखना, कार्य करना, स्वीकार और विरोध करना।आदि हाथों से व्यक्त करते है।
शरीर की मुद्रा:
सीधे खड़े होना, झुक के बैठना, दुसरे के ऊपर शरीर का निर्भर करना,या आराम की स्थिति आदि शरीर की मुद्रा व्यक्त करती है।
आवाज क उतार चढ़ाव करना:
आवाज से भी असर पड़ता है। बॉडी लैंग्वेज पर भले ही या गैर मौखिक हो।
इस तरह के संवाद से कलश है हम बॉडी लैंग्वेज को मानो व्यवहार की सबसे प्रभावशाली भाषा का सकते हैं क्योंकि उठने बैठने इशारे आंखों के संकेत हिला ढूंढना आदि से पता लगाया जा सकता है।
बॉडी लैंग्वेज का इतिहास:
बॉडी लैंग्वेज उतनी ही पुरानी है जितनी पुरानी सभ्यता। जब भाषा का संवाद नहीं होता था आदान-प्रदान नहीं होता था तब लोग संकेत तो चेतावनी भावनाओं से अपनी अभिव्यक्ति करते थे और उन्हें सबके माध्यम से शिकार करते थे।
समय-समय पर खतरा जहां आता था वहां पर चेतावनी का प्रयोग करते थे। आदि तरह की अभिव्यक्ति सभी बॉडी लैंग्वेज सही होती थी। आज भी आदिवासी समुदाय, छोटे बच्चे और यहां तक के जानवर भी बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल संवाद के लिए करते हैं।
बॉडी लैंग्वेज का महत्व:.
इसका महत्व हमें यह समझता है। कि हमारे असली पहचान आचार विचार और भावनाओं को अभिव्यक्त करना जो बॉडी लैंग्वेज उजागर करती है।
1. यह दूसरों को हमारे आत्मविश्वास और व्यक्तित्व का आभास कराती है।
2. राजनीति, सामाजिक और व्यवसाय जीवन में या भरोसा और विश्वास बनाने में मदद करती है।
3. यह हमसे बिना शब्दों के भी दूसरों के प्रति सकारात्मक प्रभाव छोड़ सकते हैं।
4. बॉडी लैंग्वेज हमे आत्मनिर्भर बनाती है, क्योंकि ऐसा कोई होता है जिसके पास आवाज नहीं होता वह सब बॉडी लैंग्वेज से ही समझता है।
बॉडी लैंग्वेज को सबसे ज्यादा कौन समझता है?
बॉडी लैंग्वेज को सबसे ज्यादा उसकी मां समझती है। मां अपने बच्चों को 9 महीना अपने गर्भ में रखती है तभी से मां सब कुछ सीख जाती है। और उसके बाद जब बच्चे को भूख लगती है तो मन को पहले ही आभास हो जाता है।
मैन बॉडी लैंग्वेज के जन्मदाता होती है। मां के बच्चे को कुछ भी होता है दुख ,दर्द, पीड़ा ,बुखार और जुखाम आदि तरह के घातक प्रहार तो सबसे पहले मां को पता चलता है। मां को बॉडी लैंग्वेज से जुड़ा होता है अपने बच्चों के प्रति, यही कारण है की मां को नेशनल मदर बॉडी लैंग्वेज भी कहा जाता है।
मानव जीवन में बॉडी लैंग्वेज की भूमिका:
मानव जीवन के हर पहलुओं में बॉडी लैंग्वेज की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
1. व्यक्तिगत जीवन में – हमारे परिवार और दोस्तों के साथ बातचीत और रहन सहन का अधिकांश हिस्सा हावभाव से होता है। जीवन के शुरुआत से ही परिवार और दोस्त मिल जाते है । और हमारे हावभाव, विचार और भावनाओं को संकेत आदि के माध्यम से समझ जाते है।
2. शिक्षा में – स्कूल से ही बच्चे को बॉडी लैंग्वेज का ज्ञान हो जाता है क्योंकि विद्यालयों में उठना बैठना आंखों के संपर्क को समझना आदि समझाया जाता है। यही कारण है कि विद्यार्थी के गुरु ही बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत होते है।
3. व्यवसाय में – साक्षात्कार, प्रेजेंटेशन और मीटिंग में बॉडी लैंग्वेज आत्मविश्वास और समर्थ को दर्शाती है। इसलिए हर जगह साक्षात्कार होता है।
4. सामाजिक जीवन में – समाज में लोगों से मिलना जुलना बात करना आज किसी भी माध्यम से बॉडी लैंग्वेज का होना अहम है।
5. नेतृत्व में – नेतृत्व एक सबसे प्रभावशाली बॉडी लैंग्वेज का भाषा है। क्योंकि किसी को भीड़ में पहचाना उसके हाव-भाव से ही पता चलता है। यही कारण है कि नेता का हाव-भाव सबसे अलग होता है।
बॉडी लैंग्वेज के प्रकार:
बॉडी लैंग्वेज के प्रकार शारीरिक अभाव से मिलते-जुलते हैं। इसके प्रकार निम्नलिखित है।
1. चेहरे के भाव से समझना:
लोगों के चेहरे से देखकर पता चल जाता है। वह किस परिस्थिति में है जैसे – सुखी, दुख, डर, घड़ा , गुस्सा और आश्चर्य ये छह बुनियादी भाव है।
2. आंखों के संपर्क:
लोगों के आंखों के संपर्क आकर्षक से पता चल जाता है। जैसे– विश्वास और ज्ञान का सबसे बड़ा संकेत। ईमानदारी और दृढ़ता वादी आंखों के संपर्क से पता चलता है ।
3. हाथों के इशारे:
हाथ के इशारे बातचीत और प्रभावशाली और क्षमता वादी बनते हैं।
4. मुद्रा:
मुद्रा से पता चल जाता है बॉडी लैंग्वेज का जैसे सीधे बैठना झुकना आप विश्वास दर्शन तथा आराम की मुद्रा में बैठना आज नेशनल बॉडी लैंग्वेज शारीरिक हाव भाव के अंग है।
5. स्पर्श:
अपनापन और भावनाओं का संचार। चुने से पता चलता है यह आकर्षक बनाता है।
6. शारीरिक दूरी:
कितना पास या दूर खड़े होते है। यह भी सम्बन्धों और आत्मनियता से पता चलता है।
बॉडी लैंग्वेज पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव:
सकारात्मक प्रभाव:
आंखों में आत्मविश्वास और दृढ़ता देखना।
मुस्कराना
हाथ मिलते समय मजबूती का परिचय देना
सीधे बैठना या खड़े होना
सहमति से सर हिलाना
नकारात्मक बॉडी लैंग्वेज:
आंखों के संपर्क से बचना
हाथ बांधकर खड़े होना
झुका हुआ शरीर
चेहरे पे गुस्सा व चिढ़ लाना
बार – बार कमजोरी से हिलना
ये सब बॉडी लैंग्वेज के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव है । जिसका उपयोग समय पर सभी करते है। लेकिन नकारात्मक और सकारात्मक पर । बाकी का तो अधिकांश भाग बॉडी लैंग्वेज ही हावभाव के प्रभाव में आता है।
दैनिक जीवन में बॉडी लैंग्वेज का प्रभाव:
1.हमारी बॉडी लैंग्वेज तभी तय करती है कि सामने वाला व्यक्ति कैसा है। जिस प्रकार का व्यक्त होता है हमें उसे प्रकार का हाव भाव प्रकट करना पड़ता है। जैसे इमानदारी कमजोर आत्मविश्वास से दृढ़ता वाले शक्तिशाली आदि तरीके के।
2. रिश्तों में मुस्कुराहट शांति और अपनापन रिश्तों को मजबूत बनाता है।
3. नौकरी करने से पहले इंटरव्यू देना पड़ता है। जिसमें वह आपके हाव-भाव से ही आपका व्यक्तित्व और आत्मविश्वास का पता लगा लेते हैं।
4. आप उसी का नेतृत्व करते हैं, जिसका भाव बैठना उठाना आत्मविश्वास दृष्टा आपको अच्छा लगता है। यह सब नेता को सीखना पड़ता है। जिससे उनका नेतृत्व हो जाए।
नेशनल बॉडी लैंग्वेज डे कैसे मनाया जाता है?
नेशनल बॉडी लैंग्वेज डे का आयोजन किया जाता है । यह आयोजन अक्टूबर माह के पहले शुक्रवार को आयोजित होता है। जिसमें प्रोग्राम, और ट्रेनिंग तथा स्कूलों में वर्कशॉप का आयोजन होता है । जिसमें बॉडी लैंग्वेज को सिखाया जाता है।
इस दिन लोग एक दूसरे को हैश टैग लगाकर नेशनल बॉडी लैंग्वेज डे विस करते है। और आपस में बॉडी लैंग्वेज के उपलक्ष वाले गेम खेलते है।
और बॉडी लैंग्वेज विशेषज्ञ अपनी किताबें सेमिनार और वीडियो के जरिए लोगों को शिक्षित करते हैं। यदि एक दूसरे को प्रभावित करना भाव से कार्य करना तथा इसके प्रति जागृत होना होता है।
निष्कर्ष:
बॉडी लैंग्वेज हमारी जिंदगी का एक ऐसा हिस्सा है जिसे हम ना तो नजर अंदाज करते हैं और ना ही इससे बच सकते हैं। यह हमारे व्यक्तित्व, विचारों और भावनाओं का दर्पण है। यह हमें सिखाता है कि हम ज्यादा तर अपने कार्य हावभाव से ही करते है।
नेशनल बॉडी लैंग्वेज डे हमे राह दिखाता है कि हमें अपने बॉडी लैंग्वेज प्रयोग सकारात्मक प्रभाव में करना चाहिए। जिससे आत्मविश्वास, दृढ़ता और समर्थ का पता चलता है।
क्योंकि इसका जीवन सकारात्मक उपयोग है। यह हमें साक्षात्कार के समय बॉडी लैंग्वेज के हाव भाव से आपको अंकित करते है। जिससे आपका करियर बनता है। और समाज में घर में रिश्तों को मजबूत बना पाएंगे जब आप इसका सही तरीके से बॉडी लैंग्वेज का हाव भाव को दूसरों के सामने पारित होगा । और आपको वहां से अच्छे नजरिए से देखा जाएगा।
नेशनल बॉडी लैंग्वेज हमें बताता है कि हम दूसरों को देखकर भी बॉडी लैंग्वेज सीख सकते है । और इसका आयोजन भी पूरे विश्व में कराया जाता है