राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस
राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस:

राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस हर वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिवस हिंदुओं के भगवान धन्वंतरि के उपलक्ष्य मनाया जाता है। पुराणों में कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि देवताओं के वैध हुआ करते थे।
राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस क्यों मनाया जाता है ?
राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस को मनाने से हमारे चारों और फैल रही बीमारी और पर्यावरण को दूषित करने वाली गैसों के बारे में पता चलता है । आयुर्वेद हमे बोध करता है कि हम सबको एक साथ खड़े होकर बीमारियों से लड़ना चाहिए और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखना चाहिए।
राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस कब मनाया जाता है ?
राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस 23 सितंबर को मनाया जाता है । परंतु इससे पहले राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस को धनतेरस के दिन मनाया जाता था ।और कहा जाता था कि इस भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। लेकिन मार्च 2025 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस को 23 सितंबर को मनाने के लिए यह तारीख घोषित किया ।
राष्ट्रीय आयुर्वेदा के संस्थापक कौन थे?

राष्ट्रीय आयुर्वेदा के संस्थापक भगवान धन्वंतरि को माना जाता है । क्योंकि भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से जन्मे थे । और भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के ज्ञाता बना दिया गया । और देवताओं के वैध भी हो गए।
राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस को कहा तक मनाया जाता है ?
राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस को भारत और विदेशों में भी मनाया जाता है । परंतु भारत के विभिन्न क्षेत्रों जैसे केरल त्रिवंतपुरम और औषधियां वाले क्षेत्रों में इस दिवस पर ज्यादा चर्चा होता है।राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण दिवस है क्योंकि कोई भी किसी भी तरह से बीमार क्षतिग्रस्त होता है तो तुरन्त रोगी लोग औषधि खोजने लगते है । और तुरन्त अपना उपचार शुरू कर देते है ताकि कम समय में ठीक हों जाए।
भारत की राष्ट्रीय औषधि क्या है?
भारत की राष्ट्रीय औषधि गिलेय को आयुष मंत्रालय ने घोषित किया । क्योंकि गिलेय ज्यादा तर बीमारियों को खत्म करती है।
राष्ट्रीय आयुर्वेदा के जनक किसे माना जाता है?

राष्ट्रीय आयुर्वेदा के जनक भगवान धन्वंतरि को माना ही जाता है । लेकिन प्राचीन काल से आचार्य चरक को भी आयुर्वेद का जनक माना जाता है ।
आचार्य चरक ने चरक संहिता नामक ग्रन्थ की रचना की । जिसमें आयुर्वेद पर चर्चा है और विज्ञान पर आधारित है । इस ग्रन्थ में रोगी के उपचारों के बारे में बताया गया है ।
आचार्य चरक कुषाण वंश के वैध थे। आचार्य चरक 300 से 200 वर्षों तकआयुर्वेद की गढ़ना की ।
आयुर्वेद का पूरा नाम :
आयु का मतलब औषधियों और वेद का मतलब विज्ञान इसलिए इसका पूरा नाम औषधियों का विज्ञान कहा जाता है ।
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस हर वर्ष 2025 से 23 सितंबर को मनाया जाएगा । राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस 2025 की थीम “मानव और धरती के लिए आयुर्वेद” इसका मतलब मानव की धरती पर औषधियां उगती है और वे औषधियां मानव कल्याण के लिए भी होती है । परंतु मानव ऐसा नहीं चाहता क्योंकि मानव चंद पैसों के लिए पेड़ो को काटता है । और आयुर्वेद को खत्म करता है जो कि मानव के लिए है। आयुर्वेद का उल्लेख अथर्ववेद से मिलता है । क्योंकि वेदों की रचना स्वयं ब्रह्मा जी ने की थी । अथर्ववेद में सभी तरह की बीमारी का उपचार है । रास्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हमें याद दिलाता है की हमें पेड़ो और जन्तुओं को हानि नहीं पहुचानी चाहिए | और इन्ही पेड़ो से औषधियाँ बनती है जो मानव के उपचार में लायी जाती है | और हमें यह ध्यान देना चाहिये की प्लास्टिक कचरा भी पर्यावरण को दूषित करता है | हमें प्लास्टिक प्रदुषण को रोकना चाहिए जिससे औषधियाँ धुषित न हो |